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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज एक गंभीर मामले में दो आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने अपने कड़े आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि ‘राष्ट्र की संप्रभुता से ऊपर कुछ भी नहीं है’, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के प्रति न्यायिक दृढ़ता को दर्शाता है। यह महत्वपूर्ण फैसला ऐसे समय में आया है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी है।
जिन दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की गई है, उन्हें कथित तौर पर एक हैंड ग्रेनेड और एक किलोग्राम विस्फोटक सामग्री के साथ पकड़ा गया था। इन पर कुख्यात आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के साथ सीधा संबंध होने का भी गंभीर आरोप है। पुलिस और जांच एजेंसियों ने न्यायालय के समक्ष पुख्ता सबूत पेश किए, जिससे यह साबित हुआ कि इन व्यक्तियों की रिहाई से सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है। ऐसे खतरनाक पदार्थों की बरामदगी और आतंकवादी लिंक के आरोप मामले की गंभीरता को और बढ़ा देते हैं।
उच्च न्यायालय का यह फैसला आतंकवाद और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों के प्रति सरकार और न्यायपालिका के कड़े रुख को दर्शाता है। यह जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों को भी मजबूत करेगा। इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता करने वालों को कोई ढील नहीं दी जाएगी और कानून के तहत कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है।