
Organ Donation
नई दिल्ली: भारत में अंगदान की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। हर दस लाख लोगों में से केवल एक व्यक्ति अंगदान करता है, जबकि हर साल करीब पांच लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। मांग और आपूर्ति के इस बड़े अंतर के कारण हजारों मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए नई पहल शुरू की है।
अंगदान की मौजूदा स्थिति
भारत में अंगदान की दर बेहद कम है। विशेषज्ञों के अनुसार, जागरूकता की कमी, सामाजिक धारणाएं और कानूनी प्रक्रिया की जटिलताएं इस समस्या के प्रमुख कारण हैं। हर साल लाखों मरीजों को गुर्दा, लीवर, हृदय और अन्य अंगों के प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, लेकिन उपलब्ध दाताओं की संख्या बेहद कम है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अंगदान के लिए केवल 2-3% मांग ही पूरी हो पाती है। ज्यादातर प्रत्यारोपण जीवित दाताओं द्वारा किए जाते हैं, जबकि मृत्युपरांत अंगदान (कैडेवर डोनेशन) की संख्या बहुत कम है।
सरकार की नई पहल
केंद्र सरकार ने इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
- सरकारी अस्पतालों में अंगदान सुविधाएं – सरकार ने विभिन्न सरकारी अस्पतालों में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए विशेष केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है।
- प्रक्रिया को सरल बनाना – अंगदान की कानूनी प्रक्रिया को आसान बनाया जा रहा है ताकि लोग बिना किसी जटिलता के अंगदान के लिए पंजीकरण कर सकें।
- जागरूकता अभियान – टीवी, रेडियो और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक किया जाएगा।
- ऑनलाइन पंजीकरण – इच्छुक दाता अब ऑनलाइन भी अपना पंजीकरण कर सकते हैं, जिससे प्रक्रिया और तेज होगी।
समाज की भूमिका अहम
विशेषज्ञों का मानना है कि अंगदान को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। धार्मिक मान्यताओं और गलतफहमियों के कारण कई लोग अंगदान से हिचकते हैं। अगर लोग आगे आएं, तो हजारों मरीजों को नया जीवन मिल सकता है।
सरकार और समाज के सामूहिक प्रयास से भारत में अंगदान की स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा रही है।