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तेजपुर, 21 मई: चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश की 27 जगहों के नाम बदलकर उन्हें चीनी नाम देने की कोशिश की है। इन स्थानों में 15 पर्वत, 5 निर्जन क्षेत्र, 4 पर्वत श्रृंखलाएं, 2 नदियां और 1 झील शामिल हैं। भारत सरकार ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि किसी स्थान का नाम बदलने से वह चीन का हिस्सा नहीं बन जाता।
पूर्वी अरुणाचल से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा और न ही रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारे लूबा तानी समुदाय के लोग मैकमोहन रेखा के पास रहते हैं और उनकी पहचान और संस्कृति को कोई बदल नहीं सकता। चीन की यह हरकत केवल राजनीतिक चाल है जिससे उसका दावा मजबूत हो सके।
तापिर गाओ ने यह भी कहा कि 14वें दलाई लामा ने भी तवांग दौरे के दौरान स्पष्ट किया था कि अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह मैकमोहन रेखा के पार बसे उन क्षेत्रों पर दावा करे जो ऐतिहासिक रूप से भारत के थे। अरुणाचल के सांसदों, विधायकों और स्थानीय नेताओं ने भी एकजुट होकर इस मुद्दे पर विरोध दर्ज कराया है।