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भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में आयोजित महिला दिवस सम्मेलन में, भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर बलराम ने डॉ. डोरोथी हेमरे की कहानी को याद दिलाया, जिन्होंने मानव कोरोनावायरस तनाव 229ई को पहली बार अलग किया था।
डॉ. डोरोथी हेमरे एक अमेरिकी विषाणु विज्ञानी थीं, जिन्होंने 1966 में मानव कोरोनावायरस तनाव 229ई को अलग किया था। उनकी खोज ने मानव कोरोनावायरस के अध्ययन और समझ में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रोफेसर बलराम ने डॉ. हेमरे के काम को याद करते हुए कहा कि उनकी खोज ने मानव कोरोनावायरस के अध्ययन और समझ में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. हेमरे की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि विज्ञान में महिलाओं का योगदान कितना महत्वपूर्ण है।
डॉ. हेमरे की कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि विज्ञान में महिलाओं को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने अपने काम के लिए बहुत कम मान्यता प्राप्त की और उनके काम को अक्सर उनके पुरुष सहयोगियों द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया।
प्रोफेसर बलराम ने कहा कि हमें डॉ. हेमरे जैसी महिलाओं की कहानियों को याद रखने और उन्हें मनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि विज्ञान में महिलाओं को समान अवसर मिले और उनके योगदान को मान्यता दी जाए।