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पुलिस को लगाई फटकार
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अंतरधार्मिक दंपति को ‘अवैध हिरासत’ में रखने के लिए पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने एक अवकाश के दिन विशेष सुनवाई आयोजित की और स्पष्ट किया कि महिला अपनी मर्जी से पुरुष के साथ कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है। इस फैसले को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद के अधिकार की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
न्यायालय की पीठ ने पाया कि दंपति को केवल उनके अंतरधार्मिक संबंध के कारण पुलिस द्वारा अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। अदालत ने पुलिस के कार्य पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और उन्हें भविष्य में कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने की चेतावनी दी। वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की गहन जांच करने और दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। दंपति की ओर से दायर याचिका में सुरक्षा और हिरासत से रिहाई की मांग की गई थी।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि एक वयस्क महिला को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने और यात्रा करने का पूरा अधिकार है, और राज्य या पुलिस इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। न्यायाधीशों ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत चयन का मामला है और यह कानून के शासन से ऊपर नहीं है। दंपति को तुरंत रिहा किया गया है, और अदालत ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देश दिए हैं। यह फैसला अंतरधार्मिक संबंधों के मामलों में पुलिस के मनमाने हस्तक्षेप के खिलाफ एक महत्वपूर्ण नजीर स्थापित करता है।