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मुख्य बिंदु:
छात्रों को 9 मार्च को एनआरएससी क्लब में होली मिलन करने की अनुमति नहीं मिली।
एलएलएम छात्र अखिल कौशल ने कुलपति और प्रॉक्टर से अनुमति मांगी थी।
छात्रों का आरोप है कि अन्य धार्मिक त्योहारों की अनुमति दी जाती है।
उन्होंने इसे धार्मिक भेदभाव बताया और समानता की मांग की।
छात्रों ने कहा कि एएमयू ‘मिनी इंडिया’ है, जहां सभी त्योहार मनाने की अनुमति होनी चाहिए।
इफ्तार पार्टियों, मुहर्रम, चेहलुम और ईद मिलादुन्नबी जैसे आयोजन होते हैं।
होली मिलन की अनुमति न देने को पक्षपात करार दिया गया।
छात्र प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गर्माया हुआ है।
एएमयू प्रशासन ने भेदभाव के आरोपों को खारिज किया।
प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने कहा कि होली खेलने पर कोई रोक नहीं है।
उन्होंने बताया कि हर साल कैंपस में होली मिलन समारोह होता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है।
छात्रों का कहना है कि उन्हें आधिकारिक रूप से अनुमति मिलनी चाहिए।
हिंदू छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से समान दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।
कुछ छात्र इसे धार्मिक असमानता का मामला बता रहे हैं।
छात्रों ने कहा कि अगर अनुमति नहीं मिली तो वे अन्य कदम उठाएंगे।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सभी छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की।
अब देखना होगा कि प्रशासन अपने निर्णय पर पुनर्विचार करता है या नहीं।
यह मामला शिक्षा संस्थानों में धार्मिक आयोजनों को लेकर नई बहस छेड़ सकता है।
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