
supreme court
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया।
यह एफआईआर एक कथित भड़काऊ गाने को लेकर दर्ज की गई थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विचारों और विचारधाराओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति एक स्वस्थ और सभ्य समाज का अहम हिस्सा है।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है और इसे केवल विशेष परिस्थितियों में ही सीमित किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि केवल किसी गाने या भाषण से भावनाएं आहत होना, एफआईआर दर्ज करने का पर्याप्त आधार नहीं हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लोकतंत्र में आलोचना का स्वागत किया जाना चाहिए और असहमति के सुर को दबाना समाज के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस ने बीते वर्ष एक कार्यक्रम में उनके गाने को लेकर भड़काऊ सामग्री फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी।
अदालत ने कहा कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में उचित आधार का अभाव था, इसलिए इसे रद्द किया जाता है।
न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी व्यक्ति के विचारों से असहमति होने का अर्थ यह नहीं कि उसे दंडित किया जाए।
इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।