
high court of kerela
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सीएन रामचंद्रन नायर ने कहा कि राज्य सरकार के पास मौजूदा कानून के प्रावधानों के तहत मुनंबम के निवासियों की रक्षा करने की शक्तियां हैं। उन्होंने यह राय मुनंबम वक्फ भूमि विवाद की जांच कर रहे एक न्यायिक आयोग के प्रमुख के तौर पर व्यक्त की।
न्यायमूर्ति नायर ने एक मलयालम समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि यदि वक्फ बोर्ड और फारूक कॉलेज, जिसने निवासियों को जमीन बेची थी, बातचीत के जरिए किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहते हैं तो सरकार को हस्तक्षेप करके जमीन का अधिग्रहण करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा हस्तक्षेप की संभावना ही दोनों पक्षों को सीधे राज्य के हस्तक्षेप से बचने के लिए एक समाधान पर पहुंचने के लिए प्रेरित कर सकती है। यदि सरकार अधिग्रहण के साथ आगे बढ़ती है, तो उसे बोर्ड को किसी भी नुकसान के लिए मुआवजा देना होगा।
न्यायमूर्ति नायर ने जोर देकर कहा कि सरकार का मुनंबम निवासियों को बेदखल करने का कोई इरादा नहीं है और वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है। उन्होंने निवासियों को कहीं और पुनर्वासित करने के विचार को भी अव्यावहारिक बताते हुए खारिज कर दिया। मुनंबम के ज्यादातर ईसाई निवासी पिछले कई महीनों से इस बात का विरोध कर रहे हैं कि वक्फ बोर्ड उनकी जमीन और संपत्तियों पर गैरकानूनी दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत deed और भूमि कर भुगतान की रसीदें हैं।