कोरापुट का गुप्तेश्वर मंदिर: सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक.
कोरापुट जिले के बोईपारिगुडा ब्लॉक के घने जंगलों में स्थित भगवान शिव का गुप्तेश्वर गुफा मंदिर, शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ से गुलजार हो उठता है।

यह मंदिर सांप्रदायिक सद्भाव का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों समुदाय मंदिर में पूजा-अर्चना में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
इस वर्ष 26 फरवरी को आयोजित होने वाले महाशिवरात्रि के लिए, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लाखों तीर्थयात्री पहले से ही मंदिर में जुटने लगे हैं।
गुप्तेश्वर में महाशिवरात्रि का एक अनोखा आकर्षण ‘हरिहर भेंट’ है, जिसे कोरापुट के सबरा श्रीक्षेत्र के जगन्नाथ मंदिर की प्रबंधन समिति द्वारा आयोजित किया जाता है। आधी रात को, भक्त कोरापुट से भगवान जगन्नाथ की प्रतिनिधि मूर्ति को गुप्तेश्वर में लाने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो हरि (विष्णु) और हर (शिव) के दिव्य मिलन को चिह्नित करता है।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?
यह खबर धार्मिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के महत्व को दर्शाती है। यह दिखाती है कि कैसे विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ मिलकर धार्मिक उत्सव मना सकते हैं और एक दूसरे की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान कर सकते हैं।
मुख्य बातें:
- गुप्तेश्वर मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
- आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों समुदाय पूजा-अर्चना में भाग लेते हैं।
- ‘हरिहर भेंट’ महाशिवरात्रि का एक अनोखा आकर्षण है।
- ओडिशा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ से लाखों तीर्थयात्री आते हैं।
यह खबर हमें क्या बताती है?
यह खबर हमें बताती है कि धार्मिक सद्भाव और एकता संभव है। यह हमें यह भी बताती है कि हमें विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा देना चाहिए।