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इन शिक्षकों की नियुक्तियां कथित अनियमितताओं के कारण रद्द कर दी गई हैं, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ गया है। आने वाले दिनों में कई अन्य ऐसे शिक्षकों के भी राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना होने की संभावना है।
नौकरी गंवाने वाले ये शिक्षक अपनी बहाली की मांग कर रहे हैं और उनका कहना है कि वे दिल्ली में केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय के समक्ष अपनी grievances रखेंगे। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने उनकी समस्याओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
शिक्षकों के इस समूह ने कोलकाता से दिल्ली के लिए ट्रेन से यात्रा शुरू की है और उनके हाथों में अपनी नौकरी बहाली की मांग वाले प्लेकार्ड और बैनर हैं। उनका कहना है कि वे दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे और अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
इन शिक्षकों के समर्थन में कई शिक्षक संगठन और नागरिक समाज समूह भी आगे आए हैं। उनका कहना है कि इन शिक्षकों के साथ अन्याय हुआ है और उनकी नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सही नहीं है। उन्होंने सरकार से इस मामले पर पुनर्विचार करने और शिक्षकों को वापस नौकरी पर रखने की मांग की है।
दिल्ली में इन शिक्षकों के पहुंचने पर विभिन्न शिक्षक संघों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा उनका स्वागत किया जाएगा। उम्मीद है कि वे जल्द ही शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखेंगे।
इस बीच, पश्चिम बंगाल में भी नौकरी से निकाले गए अन्य शिक्षक विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
राज्य सरकार ने इस मामले पर अभी तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों ने कहा है कि वे कानूनी सलाह ले रहे हैं और अदालत के आदेशों का पालन करेंगे।
यह घटना पश्चिम बंगाल में शिक्षा क्षेत्र में चल रही समस्याओं को उजागर करती है और शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता पर जोर देती है।