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छत्तीसगढ़ में 2000 से 2024 तक 16,780 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके।
आत्मसमर्पण नीति की प्रभावशीलता को दर्शाता है। सरकार और सुरक्षा बलों के लगातार प्रयासों के कारण बड़ी संख्या में नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
विशेष रूप से इस वर्ष, जनवरी में 29 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जून में 23 ने हथियार डाले और इस महीने (जुलाई) में अब तक 43 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। यह दिखाता है कि नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की दिशा में प्रगति हो रही है। सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण और समाज में फिर से स्थापित होने के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य उन्हें हिंसक गतिविधियों से दूर करके सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।
राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियां नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को भी तेज कर रही हैं, जिसमें सड़क निर्माण, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है। यह रणनीति न केवल नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित कर रही है, बल्कि स्थानीय आबादी के जीवन स्तर में सुधार करके नक्सलवाद की जड़ों को भी कमजोर कर रही है।