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यह फैसला 27 नवंबर को हुई एक घटना के बाद आया है, जब एक महिला ने खुद को वकील बताते हुए चेहरा ढककर अदालत में पेश हुई थी।
अदालत ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के नियमों के अनुसार वकीलों के लिए एक निर्धारित ड्रेस कोड है, जिसमें चेहरा ढकने की अनुमति नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करना न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और चेहरा ढककर पेश होना इस प्रक्रिया में बाधा डालता है।
यह फैसला महिलाओं के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर बहस को जन्म दे सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह फैसला महिलाओं के धार्मिक अधिकारों का हनन है, जबकि अन्य का मानना है कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।