
इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।
चुरू के कांगर गांव में अचानक ओले गिरने लगे, जिससे खेतों में बर्फ की सफेद चादर फैल गई। इसके अलावा, बीकानेर में सुबह से ही रुक-रुक कर बारिश जारी है। बीकानेर के लूणकरणसर क्षेत्र में भी ओलावृष्टि हुई, जिससे सरसों और गेहूं की फसलें क्षतिग्रस्त हो गईं। किसानों ने कहा कि फसल लगभग कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन कुछ ही मिनटों में ओलावृष्टि ने उनके सारे प्रयास बर्बाद कर दिए।
शेखसर और नाथवाना गांवों के किसानों ने कहा कि कटाई के समय इतनी तबाही पिछले कई वर्षों में नहीं देखी गई है। वर्तमान में, ऋण चुकाना मुश्किल होगा, और आगामी खरीफ सीजन के लिए संसाधन जुटाना भी मुश्किल होगा।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?
यह खबर राजस्थान के किसानों के लिए एक बड़ी त्रासदी को उजागर करती है, जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रति उनकी भेद्यता को दर्शाती है। यह खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डालती है।
मुख्य बातें:
- राजस्थान के कई हिस्सों में बारिश और ओलावृष्टि से फसलें नष्ट हुईं।
- प्रभावित क्षेत्रों में चुरू, नागौर, झुंझुनू, शेखावाटी और लूणकरणसर शामिल हैं।
- गेहूं, चना, सरसों और जीरा की फसलें क्षतिग्रस्त हुईं।
- किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होने की आशंका है।
- किसानों ने कहा कि कटाई के समय ऐसी तबाही पहले कभी नहीं देखी गई।
यह खबर हमें क्या बताती है?
यह खबर हमें बताती है कि प्राकृतिक आपदाएं किसानों के लिए कितनी विनाशकारी हो सकती हैं। यह खबर हमें यह भी बताती है कि किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
हमें क्या करना चाहिए?
- हमें किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए बेहतर उपाय करने चाहिए।
- हमें किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- हमें किसानों को फसल बीमा के बारे में जागरूक करना चाहिए।