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राज्य के वन विभाग ने पूर्वी कामेंग जिले के सेइजोसा में असम की सीमा से सटे हरे-भरे परिवेश के बीच स्थित अभयारण्य में वर्ष 2023-24 के लिए कैमरा ट्रैप का काम पहले ही पूरा कर लिया था।
विभागीय वन अधिकारी सत्यप्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि कैमरे में कैद हुए बाघों की गतिविधियों का विश्लेषण किया जा रहा है। सिंह ने कहा, “हमारे पास शिकारियों पर निगरानी रखने के लिए कुल 38 एंटी-पोचिंग कैंप हैं और इन कैंपों में वनकर्मी 24 घंटे सतर्क रहने के लिए तैनात किए गए हैं।”
उन्होंने बताया कि 2023 में बाघ अभयारण्य में सात बाघ पाए गए थे, जबकि 2024 में नौ बाघ पाए गए हैं। यह चरण IV निगरानी बाघ अभयारण्य के सभी रेंजों जैसे सेइजोसा, टिप्पी और रिल्लो वन्यजीव रेंजों में की गई थी। बाघों की आबादी के अनुमान के लिए केवल सेइजोसा और टिप्पी वन्यजीव रेंज से प्राप्त आंकड़ों पर विचार किया गया।
उन्होंने कहा कि वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) की एशियाई भालू जनसंख्या सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में रिल्लो रेंज में गहन कैमरा ट्रैपिंग की गई थी। नमूना क्षेत्र 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ था। कुल मिलाकर दोनों ब्लॉकों में 150 स्थानों पर 230 कैमरा ट्रैप लगाए गए थे, ग्रिड चुने गए थे, जिसमें कुल प्रयास 6750 ट्रैप नाइट्स का था।
कैमरा ट्रैप से प्राप्त तस्वीरों और डेटा का उपयोग बाघों की संख्या, उनकी गतिविधियों और अभयारण्य में उनके वितरण को समझने के लिए किया जा रहा है। यह जानकारी वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वन विभाग बाघों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवास को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।