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इस आक्रामक कार्रवाई को ‘करेगुट्टालु ऑफेंसिव’ का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह माओवादियों के लिए अंतिम समय है या सुरक्षा योजनाओं में कोई बदलाव किया गया है।
सुरक्षा बलों द्वारा इस क्षेत्र में माओवादियों के गढ़ों को निशाना बनाते हुए यह एक सुनियोजित अभियान है। करेगुट्टालु और उसके आसपास के इलाकों में माओवादियों की मजबूत उपस्थिति रही है, और इस ऑपरेशन का उद्देश्य उनके प्रभाव को कम करना और क्षेत्र में शांति स्थापित करना है। भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती और समन्वित कार्रवाई से माओवादी समूहों पर दबाव बढ़ गया है।
हालांकि, इस बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान से यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या सुरक्षा बल माओवादी समस्या के समाधान के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह माओवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई हो सकती है, जबकि अन्य इसे क्षेत्र में सुरक्षा बलों की उपस्थिति और दबदबा बढ़ाने की एक रणनीति के रूप में देखते हैं। ‘ऑपरेशन कागर’ के परिणाम इस क्षेत्र में माओवादी हिंसा के भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होंगे।