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12 नवंबर, 2023 को हुए भूस्खलन के बाद 41 श्रमिक फंस गए थे, जिसके बाद 17 दिनों तक चले बचाव अभियान में कई एजेंसियों और रैट-होल खनिकों ने अंतरराष्ट्रीय सुरंग बचाव विशेषज्ञों सहित सहयोग किया, ताकि श्रमिकों को सुरक्षित रूप से निकाला जा सके।
जब मजदूर बिना भोजन और पानी के कई दिनों तक सुरंग के अंदर फंसे रहे, तो स्थानीय लोगों का मानना था कि यह बाबा बौखनाग के श्राप का परिणाम हो सकता है, जिनका सुरंग के बाहर एक छोटा मंदिर निर्माण के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था। मुख्यमंत्री ने फंसे हुए सभी मजदूरों के चमत्कारी बचाव को बाबा बौखनाग के आशीर्वाद को माना था।
उन्होंने बचाव अभियान के समापन के तुरंत बाद सुरंग के मुहाने पर ठीक उसी जगह देवता का मंदिर बनाने की घोषणा की थी, जहां यह मूल रूप से खड़ा था। सिलक्यारा सुरंग निर्माण एजेंसी द्वारा सुरंग के मुहाने पर मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया है, जहां धामी प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शोभा बढ़ाएंगे।
सिलक्यारा सुरंग परियोजना, जो चारधाम परियोजना का हिस्सा है, उत्तराखंड के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। इस सुरंग के पूरा होने से क्षेत्र में यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा और कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने इस परियोजना के महत्व पर जोर दिया है और कहा है कि यह क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने सुरंग निर्माण में शामिल सभी एजेंसियों और श्रमिकों के प्रयासों की सराहना की।
सुरंग में फंसे मजदूरों के बचाव अभियान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी। यह ऑपरेशन भारतीय बचाव कर्मियों और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के बीच सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण था।
इस घटना ने उत्तराखंड में सुरंग निर्माण परियोजनाओं में सुरक्षा उपायों के महत्व को भी उजागर किया। सरकार ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने का वादा किया है।