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देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का शताब्दी पुराना गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज (Gorkha Military Inter College) इन दिनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कभी सेना के जवानों और खिलाड़ियों को तैयार करने वाला यह प्रतिष्ठित संस्थान जमीन विवाद और गंभीर फंड संकट के कारण बदहाली की कगार पर पहुँच गया है। स्कूल के प्रबंधन और पुराने छात्रों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि यह संस्थान न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि गोरखा समुदाय की विरासत का प्रतीक भी है।
स्कूल प्रबंधन के अनुसार, संस्था दशकों पुराने भूमि विवाद में फँसी हुई है, जिसके कारण इसके विस्तार और विकास कार्य ठप पड़े हैं। यह विवाद स्कूल को अपनी संपत्ति का प्रभावी ढंग से उपयोग करने से रोक रहा है। इसके साथ ही, स्कूल गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, जिससे कर्मचारियों को वेतन देने और बुनियादी सुविधाओं को बनाए रखने में भारी मुश्किल हो रही है। अतीत में इस कॉलेज ने कई प्रतिभाशाली सेना अधिकारी और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है। आज फंड की कमी के कारण छात्रों को आवश्यक शैक्षणिक और खेल सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं।
स्कूल के पूर्व छात्रों और स्थानीय गोरखा संगठनों ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने माँग की है कि जमीन विवाद को जल्द से जल्द सुलझाया जाए और स्कूल को उसकी पुरानी गरिमा वापस दिलाने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाए। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस ऐतिहासिक संस्था को बचाने के लिए समय पर कदम उठाना बेहद जरूरी है। यदि जल्द ही कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया, तो देहरादून एक सदी पुरानी विरासत को हमेशा के लिए खो देगा। यह संकट शैक्षिक संस्थानों के संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करता है।