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देहरादून में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दो दिवसीय चिंतन शिविर 2025 का आयोजन किया गया।
शिविर में 19 राज्यों के मंत्रियों ने भाग लिया और नशे की बढ़ती लत पर गंभीर चिंता जताई।
मंत्रियों ने बताया कि किस तरह से उनके राज्यों में नशे की आदत युवाओं और समाज के लिए खतरा बनती जा रही है।
शिविर में नशामुक्ति शिविरों को संचालित करने में आ रही चुनौतियों पर भी चर्चा हुई।
कई मंत्रियों ने कहा कि पुनर्वास केंद्रों की स्थिति बेहतर करने की आवश्यकता है।
नशे की आदत से पीड़ितों के लिए काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया गया।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नशे के बढ़ते मामलों की अलग-अलग चुनौतियों को सामने रखा गया।
कुछ राज्यों ने स्कूलों और कॉलेजों में नशा विरोधी अभियान चलाने की सिफारिश की।
सामाजिक संगठनों और पुलिस प्रशासन के समन्वय की बात भी रखी गई।
डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए नशा मुक्त भारत का प्रचार-प्रसार करने के सुझाव आए।
राज्यों ने केंद्र से अधिक आर्थिक सहयोग और तकनीकी सहायता की मांग की।
मंत्रियों ने ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी बढ़ाने पर भी जोर दिया।
महिलाओं और बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर विशेष चिंता जताई गई।
केंद्रीय मंत्रालय ने सभी सुझावों को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया।
यह शिविर नीति-निर्माण और साझा रणनीति के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
समाज में जागरूकता लाकर नशे की आदत को रोका जा सकता है, यह सभी का साझा मत था।
शिविर में नशामुक्ति के सफल उदाहरणों को साझा किया गया।
इस शिविर का उद्देश्य राज्यों के बीच सहयोग और बेहतर नीतियों का विकास करना था।
भविष्य में ऐसे और कार्यक्रमों के आयोजन की बात भी कही गई।
देश को नशामुक्त बनाने के लिए केंद्र और राज्य मिलकर कार्य करेंगे।