
supreme court
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से राज्य में सांप्रदायिक और राजनीतिक हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए अदालत की निगरानी में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आग्रह किया है।
यह याचिका पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में हुई हालिया हिंसा की घटनाओं के बाद दायर की गई है, जिसमें वक्फ बोर्ड से जुड़े विरोध प्रदर्शनों और हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान झड़पें शामिल हैं। याचिकाकर्ता का तर्क है कि राज्य पुलिस इन घटनाओं की निष्पक्ष और प्रभावी जांच करने में सक्षम नहीं है, इसलिए एक स्वतंत्र जांच एजेंसी की आवश्यकता है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिंसा की इन घटनाओं में कई लोगों की जान गई है, कई घायल हुए हैं और संपत्ति का व्यापक नुकसान हुआ है। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि इन घटनाओं में शामिल अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण पुलिस कार्रवाई करने में हिचकिचा रही है।
सुप्रीम कोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह राज्य सरकार को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दे। याचिकाकर्ता ने पीड़ितों और उनके परिवारों को पर्याप्त मुआवजा और सुरक्षा प्रदान करने की भी मांग की है।
इस याचिका के माध्यम से, याचिकाकर्ता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंसा की इन घटनाओं की गहन और निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कानून के अनुसार दंडित किया जाए। उनका यह भी मानना है कि एक अदालत-निगरानी वाली एसआईटी जांच से पीड़ितों को न्याय मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका ऐसे समय में दायर की गई है जब पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल पहले से ही काफी तनावपूर्ण है और विपक्षी दल राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगा रहे हैं।
अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है और क्या वह पश्चिम बंगाल में हिंसा की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश देता है या नहीं। इस मामले पर जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है।