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उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लिए रसायन, दूरसंचार उपकरण और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करना महत्वपूर्ण है, जिन्हें अमेरिकी शुल्क बयान में स्पष्ट रूप से चिह्नित किया गया था।
उन्होंने कहा कि मानकों और परीक्षण प्रोटोकॉल के लिए पारस्परिक मान्यता समझौते (एमआरए) नियामक घर्षण को कम करने और इन संवेदनशील क्षेत्रों में बाजार पहुंच में सुधार करने में एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
शारदुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के पार्टनर रुद्र कुमार पांडे ने कहा कि भले ही नए अमेरिकी शुल्क भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर अल्पकालिक दबाव डाल सकते हैं, लेकिन व्यापक रणनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है।
मुख्य बातें:
- द्विपक्षीय व्यापार समझौता: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूती मिलेगी।
- बाजार पहुंच: यह समझौता भारत को अमेरिकी बाजार में तरजीही पहुंच प्रदान कर सकता है।
- निवेशक सुरक्षा: यह समझौता दोनों देशों में निवेशकों के हितों की रक्षा करेगा।
- प्रौद्योगिकी साझेदारी: यह समझौता दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ावा देगा।
- गैर-शुल्क बाधाएं: यह समझौता भारत को रसायन, दूरसंचार उपकरण और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने में मदद करेगा।
- एमआरए: मानकों और परीक्षण प्रोटोकॉल के लिए पारस्परिक मान्यता समझौते नियामक घर्षण को कम करने और बाजार पहुंच में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
- दीर्घकालिक लाभ: नए अमेरिकी शुल्क अल्पकालिक दबाव डाल सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह समझौता भारत के लिए फायदेमंद होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत व्यापार संबंध दोनों देशों के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।