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शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को लागू करने में हो रही देरी पर कड़ी आपत्ति जताई।
न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने केंद्र सरकार को 8 जनवरी के अपने आदेश का पालन नहीं करने पर कड़ी फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा दी गई समय सीमा 15 मार्च को समाप्त हो गई है, लेकिन केंद्र ने अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
अदालत ने टिप्पणी की कि इस देरी के कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, और सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। पीठ ने परिवहन सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने और यह बताने का निर्देश दिया कि योजना को लागू करने में इतना विलंब क्यों हो रहा है और इसे कब तक लागू किया जाएगा।
यह मामला सड़क दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए एक कैशलेस उपचार योजना से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले केंद्र सरकार को इस योजना को जल्द से जल्द तैयार करने और लागू करने का निर्देश दिया था ताकि दुर्घटना के शिकार लोगों को बिना किसी वित्तीय बाधा के तुरंत इलाज मिल सके।
हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा योजना को लागू करने में लगातार देरी हो रही है, जिससे अदालत नाराज है। अदालत ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं देश में एक बड़ी समस्या हैं और पीड़ितों को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है।
पीठ ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में टालमटोल का रवैया नहीं अपनाना चाहिए और योजना को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। अदालत ने परिवहन सचिव को अगली सुनवाई की तारीख पर विस्तृत कार्य योजना के साथ पेश होने का निर्देश दिया है।
यह घटना सड़क सुरक्षा और पीड़ितों के अधिकारों के प्रति सुप्रीम कोर्ट की गंभीरता को दर्शाती है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी।