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नई दिल्ली: देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में बड़ी कमी आई है। गृह मंत्रालय (MHA) के अनुसार, सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर अब केवल 6 रह गई है।
इसके अलावा, ‘चिंता के जिलों’ की संख्या भी 9 से घटकर 6 हो गई है। वहीं, अन्य वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित जिलों की संख्या 17 से घटकर अब 6 रह गई है।
गृह मंत्रालय ने इसे सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति और सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई का परिणाम बताया है।
पिछले कुछ वर्षों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और राज्य पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से कई नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति लौटी है।
सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं लागू की हैं।
गृह मंत्रालय के अनुसार, कई शीर्ष नक्सली नेताओं को गिरफ्तार किया गया है या वे आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, नक्सली हिंसा की घटनाओं में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है, जिससे आम लोगों का जीवन सामान्य हो रहा है।
राज्य सरकारों के सहयोग से केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार योजनाओं को भी बढ़ावा दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह रुझान जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त हो सकता है।