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पटना/रांची: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा आज ‘नहाय–खाय’ के साथ शुरू हो गया है। यह चार दिनों का पवित्र उत्सव है, जिसमें पहले दिन व्रती पवित्र स्नान के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस भोजन में परंपरागत रूप से ‘लौकी–भात’ (कद्दू की सब्जी और चावल) खाने का विशेष महत्व है। यह परंपरा धार्मिक शुद्धता और वैज्ञानिक स्वास्थ्य दोनों से जुड़ी हुई है।
‘लौकी–भात’ खाने के पीछे गहरा स्वास्थ्य आधार है। लौकी में लगभग 95 प्रतिशत पानी होता है, जो व्रती के शरीर में द्रव स्तर (फ्लूइड लेवल) को बनाए रखने में मदद करता है। यह उन्हें आगामी 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत (बिना पानी के उपवास) के लिए तैयार करता है। वहीं, भात (चावल) तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर को ठंडक पहुँचाता है, जिससे पाचन तंत्र हल्का बना रहता है। व्रत की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह भोजन बिना प्याज लहसुन के तैयार किया जाता है।
सात्विक भोजन का यह अनुष्ठान केवल शारीरिक तैयारी तक ही सीमित नहीं है; यह मन को भी शुद्ध और शांत बनाता है। लौकी की सब्जी में फाइबर की मात्रा भी अधिक होती है, जो पाचन क्रिया को सुचारु रखती है। इस प्रकार, ‘नहाय–खाय’ पर लौकी–भात ग्रहण करना छठ व्रत के लिए एक आदर्श शुरुआत है, जो शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से व्रती को शक्ति प्रदान करता है।