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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में दायर अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने तत्कालीन एआईसीसी अध्यक्ष के रूप में यंग इंडियन (वाईआई) कंपनी के माध्यम से सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर अपने और अपने बेटे राहुल गांधी के लिए व्यक्तिगत लाभ प्राप्त किया। चार्जशीट के अनुसार, दोनों नेताओं ने ईडी को दिए अपने बयानों में वाईआई और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की गतिविधियों के बारे में “अनजान” होने का दावा किया है।
ईडी ने आरोप लगाया है कि इन सभी मामलों की देखरेख दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा द्वारा की जाती थी, क्योंकि उन्हें प्रशासनिक और वित्तीय मामलों से निपटने के लिए “अधिकार” दिया गया था। ईडी ने अपनी चार्जशीट में सोनिया गांधी को आरोपी नंबर 1 और राहुल गांधी को आरोपी नंबर 2 के रूप में नामित किया है। ईडी का आरोप है कि सोनिया गांधी ने एआईसीसी अध्यक्ष के रूप में एजेएल का “धोखाधड़ी” से अधिग्रहण किया, जो उनकी जानकारी और सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं था।
राहुल गांधी पर एजेएल के शेयरधारकों और एआईसीसी के दाताओं को “धोखा देने” का आरोप है। ईडी का कहना है कि वे इस मामले में 988 करोड़ रुपये के अपराध की आय से जुड़े थे। कांग्रेस ने ईडी की चार्जशीट को “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया है और कहा है कि यह देश के आर्थिक संकट से ध्यान हटाने का प्रयास है।