
Justice Yashwant Verma
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर हाल ही में आग लगने की घटना के बाद कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के आरोप सामने आए हैं। इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने शनिवार, 22 मार्च 2025 को एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो इन आरोपों की जांच करेगी।
समिति के सदस्य:
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधवालिया
कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरामन
सीजेआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया है कि न्यायमूर्ति वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती।
घटना का विवरण:
हाल ही में, न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस जोन स्थित सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई थी। इस दौरान, फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पाया। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि आग बुझाने के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी देखी गई। हालांकि, फायर ब्रिगेड ने इन दावों को खारिज किया है।
इन-हाउस जांच प्रक्रिया:
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1999 में इन-हाउस प्रक्रिया स्थापित की गई थी। इस प्रक्रिया के तहत, सीजेआई पहले संबंधित न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगते हैं। यदि जवाब संतोषजनक नहीं होता या मामले में गहन जांच की आवश्यकता महसूस होती है, तो सीजेआई सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और दो उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की एक समिति गठित कर सकते हैं।
इस मामले में भी, सुप्रीम कोर्ट ने इन-हाउस जांच प्रक्रिया का पालन करते हुए समिति का गठन किया है, जो न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की विस्तृत जांच करेगी। जांच के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
न्यायपालिका में इस घटना ने हलचल मचा दी है, और सभी संबंधित पक्ष जांच के निष्कर्षों का इंतजार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की इस त्वरित कार्रवाई से न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।