
Priyanka Gandhi
नई दिल्ली: वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी संसद सत्र के दौरान महत्वपूर्ण विधेयक पर मतदान के समय अनुपस्थित रहीं, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है। एक प्रमुख संपादकीय में इसे एक बड़ी चूक करार देते हुए कहा गया कि देश, जो उनसे उम्मीद लगाए बैठा है, उनकी गैरमौजूदगी को भूल नहीं पाएगा।
क्या है मामला?
हाल ही में संसद में एक महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा और मतदान हुआ, जिसमें कांग्रेस पार्टी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा था। हालांकि, प्रियंका गांधी संसद नहीं पहुंचीं, जिससे यह सवाल उठने लगे कि आखिर वह क्यों अनुपस्थित रहीं।
यह पहली बार नहीं है जब किसी प्रमुख नेता की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी हो। लेकिन प्रियंका गांधी के मामले में यह इसलिए खास हो जाता है क्योंकि वह वायनाड से सांसद बनने के बाद जनता और पार्टी दोनों की उम्मीदों का केंद्र रही हैं।
संपादकीय में क्या कहा गया?
एक प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादकीय में लिखा गया कि प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति कांग्रेस पार्टी के लिए एक धब्बे के समान है। इसमें यह भी कहा गया कि जनता अपने प्रतिनिधियों से जवाबदेही की अपेक्षा करती है और जब वे महत्वपूर्ण मौकों पर संसद से गायब रहते हैं, तो इससे गलत संदेश जाता है।
संपादकीय में यह भी तर्क दिया गया कि यदि प्रियंका गांधी किसी आवश्यक कारण से अनुपस्थित थीं, तो पार्टी को इस पर आधिकारिक बयान देना चाहिए था। उनकी चुप्पी और पार्टी की ओर से कोई ठोस सफाई न देना इस विवाद को और गहरा रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे पर सत्ताधारी दल के नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधा और इसे गैर-जिम्मेदाराना रवैया बताया। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “अगर कांग्रेस खुद अपने व्हिप का पालन नहीं कर सकती, तो जनता उनसे क्या उम्मीद रखे?”
वहीं, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसे गैर-जरूरी विवाद बताया और कहा कि प्रियंका गांधी अपने निर्वाचन क्षेत्र और संगठनात्मक कार्यों में व्यस्त थीं।
जनता की उम्मीदें और आगे की रणनीति
प्रियंका गांधी के वायनाड से सांसद बनने के बाद उनसे लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। उनकी इस गैरमौजूदगी से भले ही पार्टी को कोई तात्कालिक नुकसान न हो, लेकिन विपक्ष इसे आगामी चुनावों में मुद्दा बना सकता है। अब देखना यह होगा कि प्रियंका गांधी या कांग्रेस इस पर क्या सफाई देती है और आगे की रणनीति क्या होगी।