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इस पहल का उद्देश्य उन माता-पिता को एक सुरक्षित और कानूनी विकल्प प्रदान करना है जो अपनी संतानों का परित्याग करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि बच्चों को अनाथालयों या सड़कों पर छोड़े जाने से बचाया जा सके।
इस अभियान के तहत, आत्मसमर्पण प्रक्रिया माता-पिता को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने और बच्चे को वापस लेने के लिए दो महीने का समय देती है। यह अवधि माता-पिता को भावनात्मक और व्यावहारिक सहायता प्राप्त करने का अवसर देती है, जिससे उन्हें अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। यदि इस अवधि के बाद भी माता-पिता बच्चे को वापस नहीं लेते हैं, तो बच्चा कानूनी रूप से गोद लेने के लिए उपलब्ध हो जाता है।
सीएआरए का मानना है कि यह अभियान बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें एक स्थिर, सुरक्षित और प्रेमपूर्ण वातावरण प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल माता-पिता को अनचाहे गर्भधारण या अन्य कठिन परिस्थितियों में भी बच्चे को सुरक्षित भविष्य देने का एक गरिमापूर्ण तरीका प्रदान करती है। इस अभियान को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।