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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले की सुनवाई करते हुए एक बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि बलात्कार का कलंक पीड़ित पर नहीं, बल्कि अपराधी पर होना चाहिए। यह टिप्पणी समाज में बलात्कार पीड़ितों के प्रति व्याप्त पूर्वाग्रह को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कोर्ट ने इस मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया और उस पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया। आरोपी ने पीड़ित से शादी करने के बाद केस को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया।
कोर्ट का यह फैसला एक मजबूत संदेश देता है कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में समझौता नहीं किया जा सकता। यह फैसला पीड़ितों को न्याय की लड़ाई में हिम्मत देगा।