bombay highcourt
मुंबई, महाराष्ट्र: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठा आरक्षण विवाद से जुड़े एक महत्वपूर्ण कानूनी पहलू पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मराठा आरक्षण अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को जनहित याचिका (PIL) के रूप में नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने इन याचिकाओं की वैधता पर सवाल उठाते हुए, उन्हें रिट याचिका (Writ Petitions) के रूप में दायर करने की अनुमति दी है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में तर्क दिया कि अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाएँ सीधे तौर पर सार्वजनिक हित से जुड़ी होने के बजाय, कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों की वैधता पर केंद्रित हैं। इसलिए, उन्हें PIL के बजाय, सामान्य रिट याचिकाओं के तहत सुना जाना चाहिए। इस कानूनी बदलाव से याचिकाकर्ताओं को अब अपने मामले को आगे बढ़ाने के लिए अलग प्रक्रिया का पालन करना होगा।
हाई कोर्ट का यह निर्णय मराठा आरक्षण के कानूनी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।