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हर डिलीवरी पार्सल और हर सवारी के पीछे, जीवन के लिए एक संघर्ष है – भूख, जोखिम, शोषण और गरिमा के लिए एक चीख। ये श्रमिक, जो अक्सर ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म के माध्यम से काम करते हैं, लगातार काम करते हैं, लेकिन उन्हें अक्सर सामाजिक सुरक्षा, उचित वेतन और सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों का अभाव होता है।
गिग श्रमिकों को अक्सर लंबे समय तक काम करना पड़ता है, बिना किसी निश्चित ब्रेक या छुट्टी के। उन्हें खराब मौसम, खतरनाक सड़कों और ग्राहकों के साथ संभावित टकराव जैसी जोखिम भरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में, उनके पास अक्सर कोई स्वास्थ्य बीमा या अन्य सामाजिक सुरक्षा जाल नहीं होता है। इसके अलावा, कई गिग श्रमिकों को उनके काम के लिए बहुत कम भुगतान किया जाता है, जिससे उनके लिए अपने और अपने परिवारों का भरण-पोषण करना मुश्किल हो जाता है।
इन कठिनाइयों के बावजूद, भारत के गिग श्रमिक अपनी मेहनत और लगन से अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे हमारी आधुनिक जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा बन गए हैं, लेकिन उनकी जरूरतों और अधिकारों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। अब समय आ गया है कि सरकार, प्लेटफॉर्म कंपनियां और समाज सामूहिक रूप से इन श्रमिकों की गरिमा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं, जिसमें उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां प्रदान करना शामिल है।