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नई दिल्ली: 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने जहरीले कचरे के निपटान के खिलाफ दायर एक याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। यह याचिका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें जहरीले कचरे को पीथमपुर क्षेत्र में स्थानांतरित करने और उसका निपटान करने की अनुमति दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि पीथमपुर में कचरे का निपटान पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा, क्योंकि यह क्षेत्र घनी आबादी वाला है और इसमें जल स्रोत भी हैं। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस स्तर पर उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिससे कचरे के निपटान की प्रक्रिया जारी रहने की संभावना है।
यह फैसला भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए एक झटका है, जो दशकों से इस जहरीले कचरे के सुरक्षित निपटान की मांग कर रहे हैं। इस मामले में आगे की कानूनी लड़ाई जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि याचिकाकर्ता अपने अधिकारों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।