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हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम के बाद, कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के प्रति अपनाए गए रुख की सराहना की है। पार्टी के कई नेताओं ने इस अवसर पर इंदिरा गांधी के दृढ़ नेतृत्व और विदेश नीति को याद किया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने हमेशा भारत के हितों को सर्वोपरि रखा और बाहरी दबाव के आगे कभी नहीं झुकीं।
कांग्रेस नेताओं ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में यूएसए की मध्यस्थता की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि दो पड़ोसी देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि यूएसए किस तरह से इस प्रक्रिया में शामिल हुआ। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी समस्याओं का समाधान द्विपक्षीय वार्ताओं के माध्यम से ही खोजना चाहिए।
पार्टी नेताओं ने 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के नेतृत्व को याद करते हुए कहा कि उस समय भारत ने पाकिस्तान पर निर्णायक जीत हासिल की थी और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने वर्तमान सरकार से भी उसी दृढ़ता और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन करने का आह्वान किया। कांग्रेस का यह रुख भारत की विदेश नीति में स्वतंत्र और गैर-हस्तक्षेपकारी सिद्धांतों के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।