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पत्रकार ने असम में प्राथमिकी रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
नई दिल्ली: एक पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि ‘अगर राज्य के खिलाफ हर असहमति की आवाज को देशद्रोही बताकर अपराधी बनाया जाए,’ तो यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। पत्रकार ने असम पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) को रद्द करने की मांग की है।
यह प्राथमिकी असम पुलिस ने पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की है। इन धाराओं में आरोप है कि उन्होंने राज्य के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। पत्रकार का तर्क है कि उनका काम जनता के लिए मुद्दों को उठाना और सरकार की आलोचना करना है, जो कि एक स्वतंत्र प्रेस का अधिकार है।
इस याचिका ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राज्य की आलोचना करने के अधिकार पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। पत्रकार का मामला यह सवाल उठाता है कि क्या असहमति की आवाज को दबाने के लिए आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई भविष्य में प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकती है।