
Naveen Patnaik
नई दिल्ली/भुवनेश्वर: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बीजू जनता दल (बीजद) ने अपने रुख में बड़ा बदलाव किया है। पहले जहां पार्टी इस बिल का खुलकर विरोध कर रही थी, वहीं अब उसने अपने सांसदों को इस पर स्वतंत्र निर्णय लेने की छूट दे दी है। पार्टी नेतृत्व ने बयान जारी कर कहा है कि बीजद सांसद अपने विवेक के अनुसार मतदान करें। इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
पहले था सख्त विरोध, अब नरम रुख
विधेयक पेश होने के शुरुआती दौर में बीजू जनता दल ने इसका कड़ा विरोध किया था। पार्टी नेताओं का तर्क था कि यह बिल वक्फ संपत्तियों से जुड़े मौजूदा नियमों में असंतुलन पैदा कर सकता है और इससे अल्पसंख्यक समुदाय में असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है। लेकिन अब पार्टी ने इस मुद्दे पर यू-टर्न लेते हुए कहा है कि उसके सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज पर फैसला लें।
राजनीतिक समीकरणों का असर?
बीजद के इस बदले रुख को आगामी चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। ओडिशा में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और बीजद केंद्र सरकार से टकराव की स्थिति से बचना चाहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी की यह नई रणनीति केंद्र सरकार के साथ अपने संबंध संतुलित रखने की दिशा में उठाया गया कदम हो सकती है।
विपक्ष ने साधा निशाना
बीजू जनता दल के इस रुख परिवर्तन पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इसे अवसरवादी राजनीति करार दिया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब शुरुआत में बीजद ने इस बिल का विरोध किया था, तब क्या स्थिति अलग थी? अब अचानक अपना रुख बदलना दर्शाता है कि पार्टी चुनावी लाभ के हिसाब से फैसले ले रही है।”
सांसदों के लिए खुली छूट
बीजद के इस फैसले के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उसके सांसद संसद में इस बिल पर किस तरह की भूमिका निभाते हैं। क्या वे सरकार के पक्ष में वोट करेंगे, या फिर अपने पहले के रुख पर कायम रहेंगे?
निष्कर्ष
बीजू जनता दल का यह रुख बदलाव राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। वक्फ संशोधन बिल पर पार्टी का पहले विरोध और अब सांसदों को स्वतंत्रता देने का निर्णय आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया गया कदम माना जा रहा है। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि संसद में बीजद सांसद किस ओर रुख अपनाते हैं।