
यह गिरोह TRAI और CBI अधिकारियों के रूप में लोगों को धोखा देकर 98 लाख रुपये की ठगी कर चुका था।
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह फर्जी दस्तावेजों और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके लोगों को डिजिटल रूप से गिरफ्तार करने का नाटक करता था। वे पीड़ितों को डरा धमकाकर उनसे पैसे ऐंठ लेते थे।
कैसे होती थी ठगी:
गिरोह के सदस्य खुद को TRAI या CBI अधिकारी बताकर पीड़ितों से संपर्क करते थे।
वे पीड़ितों को बताते थे कि उनके खिलाफ कोई मामला चल रहा है और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
डर के मारे पीड़ित अपनी बात मान जाते थे और गिरोह के बताए गए बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर देते थे।
पुलिस की कार्रवाई:
वाराणसी पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरोह के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उसके पास से कई फर्जी दस्तावेज, मोबाइल फोन और नकद रुपये बरामद किए हैं।
यह मामला क्यों है खास:
यह दिखाता है कि साइबर अपराध कितने जटिल और खतरनाक हो गए हैं।
यह इस बात की भी चेतावनी है कि हमें साइबर ठगी से सावधान रहना चाहिए।
हम खुद को कैसे बचा सकते हैं:
किसी भी अज्ञात नंबर से आने वाले कॉल पर विश्वास न करें।
अपने बैंक खाते की जानकारी सुरक्षित रखें।