
supreme court
अदालत ने सरकार से ओडिशा के उदाहरण का पालन करने और ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों पर विचार करने को कहा है। यह टिप्पणी एक बंदी माओवादी नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए आई, जिसने अपने खिलाफ लंबित मामलों की शीघ्र सुनवाई की मांग की थी।
जस्टिस [जजों के नाम, यदि उपलब्ध हों] की बेंच ने आंध्र प्रदेश सरकार के वकील से पूछा कि क्या राज्य सरकार इस मामले की संवेदनशीलता और आरोपी के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए विशेष अदालतों का गठन कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि ओडिशा ने ऐसे मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित की हैं और आंध्र प्रदेश भी इस मॉडल पर विचार कर सकता है। इससे न केवल मामले की सुनवाई तेजी से हो सकेगी बल्कि न्याय भी जल्द मिल सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रही है और चाहती है कि ऐसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई में अनावश्यक देरी न हो। माओवादी नेता के खिलाफ कई गंभीर आरोप हैं और मामला लंबे समय से लंबित है, जिसके कारण सुनवाई में तेजी लाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। अब यह देखना होगा कि आंध्र प्रदेश सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।