
supreme court
शीर्ष अदालत ने कहा कि ’63 साल के इंतजार के बाद’ अब इस संपत्ति पर मालिक का हक बनता है।
यह मामला 1962 से चला आ रहा था, जब सिनेमा हॉल को किराये पर दिया गया था। दशकों तक कानूनी लड़ाई चलने के बाद, आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अंतिम फैसला सुनाया। अदालत ने किरायेदार के वारिस की उन सभी दलीलों को खारिज कर दिया, जिनमें किरायेदारी जारी रखने की मांग की गई थी। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि कानून और न्याय के सिद्धांतों के तहत, संपत्ति के मालिक को अब इसका कब्जा वापस मिलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सिनेमा हॉल के मालिक के परिवार ने राहत की सांस ली है, जिन्होंने दशकों तक अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत का यह आदेश न केवल इस विशेष मामले में न्याय सुनिश्चित करता है, बल्कि यह किरायेदारी विवादों के संबंध में एक महत्वपूर्ण मिसाल भी कायम करता है। यह फैसला दिखाता है कि लंबे समय तक चलने वाले कानूनी विवादों में भी अंततः न्याय की जीत होती है।