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अमेरिकी सरकार द्वारा प्रतिकारक शुल्क (Reciprocal Tariffs) लगाने के फैसले से भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, यह कहना है ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का। GTRI ने बताया कि चूंकि भारत कुछ उत्पाद जैसे कि पिस्ता का निर्यात नहीं करता, ऐसे में 50% शुल्क से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, अमेरिका के 75% निर्यात पर भारत में औसतन 5% से कम शुल्क लगता है।
हालांकि, भारत को श्रम-गहन उत्पादों जैसे वस्त्र, परिधान और जूतों पर अमेरिका द्वारा 15-35% के बीच उच्च शुल्क का सामना करना पड़ता है। इन दोनों देशों के निर्यात प्रोफाइल में अंतर को देखते हुए, प्रतिकारक शुल्क का असर सीमित हो सकता है। भारत अप्रैल में अमेरिका के फैसले का इंतजार करेगा और फिर 2019 की तरह समान कदम उठा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा है कि भारत अमेरिका से अधिक तेल, गैस और सैन्य उपकरण खरीदेगा ताकि व्यापार घाटा कम हो सके, लेकिन फिर भी भारत को प्रतिकारक शुल्क का सामना करना पड़ेगा। व्यापार समझौता अप्रैल में घोषित हो सकता है, जो मुख्य रूप से शुल्कों पर केंद्रित होगा। श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि अब फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के लिए यह सही समय नहीं है क्योंकि अमेरिका ने अन्य देशों जैसे मेक्सिको और कनाडा के साथ किए गए समझौतों की अनदेखी की है।