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न्यायमूर्ति शशि कांत मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वरिष्ठ नागरिक आर्थिक रूप से स्वावलंबी है तो उसे अपने बच्चों या अन्य रिश्तेदारों से रखरखाव के लिए पैसे मांगने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि, अगर कोई वरिष्ठ नागरिक खुद को पालने में असमर्थ है तो वह रखरखाव के लिए अदालत में जा सकता है।
यह फैसला उन मामलों में महत्वपूर्ण है जहां बुजुर्गों को अपने बच्चों से आर्थिक सहायता मिलने में मुश्किल होती है। यह फैसला यह भी स्पष्ट करता है कि वरिष्ठ नागरिकों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए और कानूनी तौर पर अपने हक को प्राप्त करने के लिए अदालत जा सकते हैं।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है? यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए एक राहत की सांस है जो अपने बच्चों से आर्थिक सहायता पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।