
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है। पीड़िता सात महीने की गर्भवती थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर पीड़िता को जबरन डिलीवरी के लिए मजबूर किया गया, तो उसे जिंदगीभर मानसिक और शारीरिक तकलीफ झेलनी पड़ेगी। यह फैसला मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया, जिसमें गर्भपात को पीड़िता के स्वास्थ्य के लिए जरूरी बताया गया था।
मेडिकल बोर्ड ने अबॉर्शन को सही ठहराया
मामला राजस्थान के एक जिले का है, जहां 13 साल की नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार की घटना सामने आई थी। इस घटना के बाद लड़की गर्भवती हो गई। जब यह मामला कोर्ट पहुंचा तो हाईकोर्ट ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया, जिसने पीड़िता की स्वास्थ्य स्थिति की जांच की। रिपोर्ट में कहा गया कि गर्भावस्था से पीड़िता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर लड़की को जबरदस्ती डिलीवरी के लिए मजबूर किया गया, तो इससे उसकी मानसिक स्थिति और बिगड़ सकती है। बोर्ड ने यह भी बताया कि लड़की की उम्र और मानसिक स्थिति को देखते हुए अबॉर्शन उसके स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नाबालिग लड़की के लिए इस उम्र में गर्भावस्था का बोझ उठाना मुश्किल होगा। कोर्ट ने कहा, “अगर इस नाबालिग को डिलीवरी के लिए मजबूर किया गया, तो इससे उसका पूरा जीवन प्रभावित हो सकता है। यह लड़की के स्वास्थ्य के साथ अन्याय होगा।” कोर्ट ने यह भी कहा कि नाबालिग पीड़िता को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए गर्भपात जरूरी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अबॉर्शन के बाद पीड़िता को समुचित मेडिकल और मानसिक सहायता दी जाए।
पीड़िता के परिवार ने जताई राहत
कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़िता के परिवार ने राहत जताई है। परिवार ने कहा कि यह फैसला पीड़िता के भविष्य के लिए जरूरी था।