गहरे समुद्र में ऑक्सीजन उत्पन्न करने वाले रहस्यमय धातु के पत्थर को लेकर वैज्ञानिकों में बहस.
समुद्र में: समुद्र की गहराइयों में पाए जाने वाले धात्विक पत्थर क्या बिना सूर्य के प्रकाश के ऑक्सीजन उत्पन्न कर सकते हैं? कुछ वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है, लेकिन अन्य विशेषज्ञों ने इस दावे को चुनौती दी है।

पिछले साल जुलाई में नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में यह दावा किया गया था कि समुद्र तल पर पाए जाने वाले ये ‘डार्क ऑक्सीजन’ उत्पन्न कर सकते हैं।
इस खोज ने पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को लेकर वैज्ञानिक धारणाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है।
इन धात्विक पत्थरों को ‘पॉलीमेटालिक नोड्यूल्स’ कहा जाता है, जिनसे निकलने वाली विद्युत धारा समुद्री जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित कर सकती है।
यह खोज 2.7 अरब साल पहले प्रकाश-संश्लेषण के जरिए ऑक्सीजन उत्पादन की धारणा को चुनौती देती है।
ग्रीनपीस जैसे पर्यावरण संगठनों का कहना है कि यह खोज गहरे समुद्र की रहस्यमयी दुनिया को समझने में हमारी कमियों को दर्शाती है।
पर्यावरणविदों का मानना है कि इस खोज से गहरे समुद्र में खनन के खतरों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
यह खोज प्रशांत महासागर में स्थित क्लेरियन-क्लिपरटन क्षेत्र में की गई, जो खनन कंपनियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
इस क्षेत्र के समुद्र तल पर 4 किमी गहराई में मौजूद पॉलीमेटालिक नोड्यूल्स में मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसे कीमती धातु पाए जाते हैं।
इन धातुओं का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों और अन्य लो-कार्बन तकनीकों में किया जाता है।
इस अध्ययन को आंशिक रूप से एक कनाडाई डीप-सी माइनिंग कंपनी द मेटल्स कंपनी ने वित्त पोषित किया था।
कंपनी ने इस शोध को “गलत वैज्ञानिक तकनीक का परिणाम” बताते हुए इसकी आलोचना की।
द मेटल्स कंपनी के पर्यावरण प्रबंधक माइकल क्लार्क ने शोध को ‘खराब वैज्ञानिक तकनीक’ और ‘गलत निष्कर्ष’ बताया।
समुद्री जीवविज्ञानी एंड्रयू स्वीटमैन और उनकी टीम के इस शोध पर वैज्ञानिक समुदाय में संदेह भी जताया गया।
पिछले जुलाई से लेकर अब तक पांच शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं, जिनमें स्वीटमैन के निष्कर्षों को खारिज किया गया है।
जर्मनी के शोधकर्ता मैथियास हैकेल ने कहा कि स्वीटमैन के शोध में ठोस प्रमाण नहीं हैं।
फ्रांसीसी शोधकर्ता ओलिवियर रूक्सेल ने ऑक्सीजन के स्रोत को “मापन यंत्र में फंसी हवा के बुलबुले” बताया।
रूक्सेल ने पॉलीमेटालिक नोड्यूल्स में लंबे समय तक बिजली उत्पादन की संभावना पर सवाल उठाया।
स्वीटमैन ने कहा कि वे अपने निष्कर्षों पर औपचारिक प्रतिक्रिया तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक बहस के माध्यम से ही किसी विषय पर गहन अध्ययन को आगे बढ़ाया जा सकता है।