
kerela high court
- केरल हाईकोर्ट ने वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के ऋण माफ़ी मामले में अहम टिप्पणी की है।
- कोर्ट ने कहा कि भले ही RBI ऋण माफ़ी का निर्देश नहीं दे सकता, लेकिन केंद्र सरकार और NDMA ऐसा कर सकते हैं।
- न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और ईश्वरन एस की पीठ ने यह टिप्पणी की।
- कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र और NDMA को ऋण माफ़ी के लिए बैंकों को प्रेरित करने का आदेश देगा।
- अदालत ने केरल बैंक का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने लगभग 5 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए।
- अदालत ने कहा कि जब केरल बैंक ऐसा कर सकता है तो अन्य बैंक भी कर सकते हैं।
- उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार और NDMA की थोड़ी पहल ही काफी है।
- यह टिप्पणी उस शपथपत्र के बाद आई जिसमें केंद्र ने ऋण माफ़ी से इनकार किया था।
- केंद्र ने RBI के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए केवल ऋण पुनर्गठन की बात कही थी।
- कोर्ट ने साफ किया कि कानून में केंद्र के पास ऋण माफ़ी का विकल्प मौजूद है।
- कोर्ट ने केंद्र से संवेदनशीलता दिखाने की उम्मीद जताई।
- NDMA को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाने को कहा गया।
- अदालत ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं विशेष परिस्थिति होती हैं, जिनमें लचीलापन जरूरी है।
- वायनाड में पिछले साल भारी भूस्खलन हुआ था जिसमें कई लोग प्रभावित हुए थे।
- पीड़ितों पर अब भी कर्ज का बोझ बना हुआ है।
- ऋण माफ़ी से प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी और पुनर्वास आसान होगा।
- राज्य सरकार पहले ही केंद्र से ऋण माफ़ी की मांग कर चुकी है।
- अब सभी की नजरें कोर्ट के अगले आदेश और केंद्र की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
- सामाजिक संगठनों ने कोर्ट के रुख का स्वागत किया है।
- इस मामले से देश में आपदा प्रबंधन और राहत नीति पर भी नई बहस शुरू हो गई है।