
Waqf Amendment Act 2025
गैर-मुस्लिमों की वक्फ परिषद में नियुक्ति और संपत्ति अधिकारों पर उठा सवाल.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। यह बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी। याचिकाकर्ताओं ने इस कानून की कुछ धाराओं को चुनौती देते हुए कहा है कि इनमें धार्मिक स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकार और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया है।
सुनवाई के दौरान अदालत का ध्यान मुख्य रूप से दो मुद्दों पर केंद्रित रहा—पहला, वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और दूसरा, ‘वक्फ संपत्ति’ की परिभाषा एवं उस पर नियंत्रण का अधिकार। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय की आस्था और अधिकारों में हस्तक्षेप करता है तथा इससे संवैधानिक मूल्यों को ठेस पहुंचती है।
उन्होंने यह भी कहा कि परिषद में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति से न केवल धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता प्रभावित होती है, बल्कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का भी हनन होता है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के अंतर्गत संरक्षित है। वहीं सरकार की ओर से प्रस्तुत पक्ष में कहा गया कि संशोधन का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, न कि धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करना।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की संवेदनशीलता को स्वीकारते हुए विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता जताई। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे मूलभूत संवैधानिक पहलुओं को छूता है और न्यायालय हर पक्ष को पूरी बात रखने का अवसर देगा।
कोर्ट ने गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया है। इस महत्वपूर्ण मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने वाले समय में वक्फ प्रबंधन और धार्मिक संस्थाओं के अधिकारों को लेकर एक अहम नज़ीर बन सकता है।