
Jaisalmer
भले ही वे अपने जीवन के सुनहरे पड़ाव पर हों, सीमावर्ती गांवों में रहने वाले ये पूर्व सैनिक मोर्चे पर कमान संभालने के लिए तत्पर हैं।
इन अनुभवी योद्धाओं ने देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया है, और सेवानिवृत्त होने के बावजूद, उनकी देशभक्ति की भावना आज भी उतनी ही प्रबल है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए, इन पूर्व सैनिकों ने स्वेच्छा से किसी भी आवश्यकता में सहायता करने की पेशकश की है। उनका कहना है कि देश पहले है, और वे मातृभूमि की रक्षा के लिए हर संभव योगदान देने के लिए तैयार हैं।
इन पूर्व सैनिकों का उत्साह और समर्पण युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है। उन्होंने न केवल युद्ध के मैदान में अपनी बहादुरी दिखाई है, बल्कि आज भी वे अपने समुदायों में देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की भावना को बढ़ावा दे रहे हैं। जैसलमेर के इन वीर सपूतों का जज्बा वास्तव में सराहनीय है।