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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक कथित हवाला डीलर द्वारा दायर याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा है, जिसमें उसके खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने की मांग की गई है। यह मामला कानूनी कार्यवाही और न्यायपालिका में जवाबदेही के महत्व पर प्रकाश डालता है।
लेकिन उसे आर्म्स एक्ट (Arms Act) के तहत दोषी ठहराया गया था। उसका तर्क है कि जब मुख्य मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उसे बरी कर दिया गया है, तो उसके खिलाफ आगे मनी लॉन्ड्रिंग का कोई और मामला नहीं बनता। यह स्थिति कानूनी जटिलताओं को दर्शाती है जहाँ एक व्यक्ति को एक अपराध में बरी कर दिया जाता है, लेकिन उसी से जुड़े अन्य आरोपों का सामना करना पड़ता है।
हाई कोर्ट ने ED को इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। अदालत इस बात की जांच करेगी कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग का मामला जारी रखने के लिए पर्याप्त आधार हैं, खासकर जब मुख्य मामले में अभियुक्त को बरी कर दिया गया हो। यह फैसला कानूनी प्रक्रिया की पारदर्शिता और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगा।