
इस अवसर पर पूरे जिले में उत्सव का माहौल है। इस दिन को विशेष बनाने का कारण है नीलांबर-पीताम्बर जैसे वीर सपूतों का बलिदान जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़कर भारत की आजादी के संघर्ष में अहम भूमिका निभाई थी।
नीलांबर-पीताम्बर ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पलामू में अंग्रेजी सेना के खिलाफ जोरदार विद्रोह छेड़ा था। इन दोनों भाइयों ने अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजी सेना को कई मुश्किलें खड़ी की थी। इनके बलिदान को आज भी लोग याद करते हैं।
पलामू का इतिहास सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम तक ही सीमित नहीं है। इस जिले ने भारत के संविधान निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कई ऐसे लोग हुए हैं जो पलामू से निकलकर देश के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
आज पलामू विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां कई विकास परियोजनाएं चल रही हैं। लेकिन साथ ही, यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करने की जरूरत है।
यह दिन क्यों है खास:
यह दिन इसलिए खास है क्योंकि यह हमें हमारे इतिहास के उन वीर सपूतों को याद दिलाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। यह दिन हमें एकजुट होकर काम करने और अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।