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पीड़ित परिवारों ने गुमराह करने का आरोप लगाया
चेन्नई, तमिलनाडु: करूर भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट में CBI जांच की मांग को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पीड़ित परिवारों में से दो ने दावा किया है कि मुआवजे और नौकरी के बहाने उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराके उन्हें गुमराह किया गया। उनका कहना है कि उन्हें पता नहीं था कि उनके नाम पर शीर्ष अदालत में CBI जांच की मांग वाली याचिका दायर की गई है। इस खुलासे ने मामले में राजनीतिक साजिश की आशंका को और गहरा कर दिया है।
पीड़ित परिवारों के दावों के बाद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इरोड सेंट्रल DMK IT विंग के ज़िला उप समन्वयक, वोइपाडी कुमार ने कहा कि यह “विपक्षी दलों की साजिश” है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके। उनका आरोप है कि कुछ विरोधी पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने शोक संतप्त परिवारों की मासूमियत का फायदा उठाया। DMK नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इस कथित धोखाधड़ी और गलत बयानी पर संज्ञान लेने और मामले की गहन जांच करने की मांग की है।
इस बीच, करूर भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों के भावनात्मक दावों ने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। पीड़ित परिवारों ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने केवल आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी की अपील के लिए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। यह स्थिति राजनीतिक दलों के बीच तीखी बयानबाजी को बढ़ावा दे रही है और न्याय की प्रक्रिया को जटिल बना रही है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि वह इस संवेदनशील मामले पर क्या फैसला सुनाता है।