
representation image legal expert M Vetri Selvan
अमेरिका की मौसम एजेंसी NOAA की फंडिंग में भारी कटौती की योजना का असर भारत पर भी पड़ सकता है।
अमेरिकी मौसम सोसायटी (AMS) ने ट्रम्प प्रशासन की इस योजना पर औपचारिक बयान जारी किया है।
NOAA पर प्रस्तावित 27% बजट कटौती से भारत जैसे कई देशों को परेशानी हो सकती है।
NOAA का डेटा भारत के मौसम विभाग (IMD) को भी मिलता है।
यह डेटा आपदा प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान और जलवायु अनुसंधान में मदद करता है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस फैसले का ग्लोबल प्रभाव होगा।
पर्यावरणविद् एम वेट्रि सेल्वन ने इसे वैज्ञानिक ढांचे पर हमला बताया।
उन्होंने कहा कि NOAA की बजट कटौती का भारत पर बड़ा असर पड़ेगा।
NOAA समुद्र और वायुमंडल का वैश्विक डेटा इकट्ठा करता है।
अमेरिका में 1.67 बिलियन डॉलर (करीब ₹13,935 करोड़) की कटौती प्रस्तावित है।
इससे NOAA का स्टाफ और ऑपरेशनल कामकाज प्रभावित हो सकते हैं।
भारत के पास अभी NOAA जैसा एडवांस सिस्टम नहीं है।
भारत की आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली पर असर पड़ सकता है।
जरूरी मौसम संबंधित जानकारियां देरी से मिल सकती हैं या खो भी सकती हैं।
वेट्रि सेल्वन ने इसे वैश्विक अन्याय बताया।
उन्होंने कहा कि यह केवल अमेरिका की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।
भारत जैसे विकासशील देशों को इस डेटा पर बड़ी निर्भरता है।
क्लाइमेट रिसर्च और मानसून पूर्वानुमान में भी दिक्कतें आ सकती हैं।
विशेषज्ञों ने भारत सरकार से विकल्पों पर काम करने की अपील की है।
NOAA की कटौती वैश्विक जलवायु प्रयासों के लिए भी खतरा बन सकती है।