
नोएडा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने देश के नाम को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश को ‘इंडिया’ नहीं, बल्कि ‘भारत’ कहना चाहिए। होसबाले ने यह बात नोएडा में एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने संविधान के संदर्भ में कहा कि इसमें ‘कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया’ की जगह ‘कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ भारत’ लिखा जाना चाहिए।
संविधान में बदलाव की जरूरत पर जोर
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत की पहचान और उसकी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने के लिए देश के नाम को ‘इंडिया’ से ‘भारत’ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हमारा देश हजारों वर्षों से ‘भारत’ के नाम से जाना जाता रहा है। संविधान की प्रस्तावना में भी ‘इंडिया’ के साथ ‘भारत’ लिखा गया है। अब समय आ गया है कि हम ‘इंडिया’ की जगह सिर्फ ‘भारत’ का इस्तेमाल करें, ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत और पहचान को सही मायनों में सम्मान मिले।” उन्होंने कहा कि आजादी के बाद अंग्रेजों द्वारा दिए गए नाम ‘इंडिया’ को अपनाना गलत था। होसबाले ने कहा कि ‘भारत’ नाम हमारी प्राचीन परंपरा, संस्कृति और सभ्यता से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे अपनाना हमारी अस्मिता का प्रतीक होगा।
राजनीतिक और सांस्कृतिक बहस
होसबाले के इस बयान के बाद राजनीतिक और सांस्कृतिक जगत में बहस छिड़ गई है। कुछ राजनीतिक दल और संगठन इसे राष्ट्रीय स्वाभिमान से जोड़कर देख रहे हैं, तो कुछ इसे गैरजरूरी मुद्दा बता रहे हैं। इससे पहले भी संसद और विभिन्न मंचों पर देश के नाम को लेकर चर्चा हो चुकी है।
‘भारत’ नाम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ें
संविधान की प्रस्तावना में देश के नाम को “इंडिया, दैट इज भारत” के रूप में लिखा गया है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों, महाभारत और पुराणों में भी इस भूमि को ‘भारत’ के रूप में उल्लेखित किया गया है। होसबाले ने कहा कि भारत का नाम उसकी सांस्कृतिक पहचान और गौरव से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे पूरी तरह से अपनाना जरूरी है। दत्तात्रेय होसबाले का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ के उपयोग को लेकर चर्चा तेज हो रही है। अब देखना होगा कि इस पर सरकार और राजनीतिक दल क्या रुख अपनाते हैं।