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समिति ने इस मुद्दे पर विशेषज्ञों और हितधारकों से विचार-विमर्श शुरू किया।
ऋतुराज अवस्थी ने समिति के समक्ष अपनी राय रखी।
इस बैठक में आईएएस अधिकारी नितिन चंद्रा ने भी भाग लिया।
नितिन चंद्रा उच्च स्तरीय कोविंद समिति के सचिव हैं।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित भी बैठक में शामिल होने वाले हैं।
इस मुद्दे पर विधि विशेषज्ञों और राजनीतिक नेताओं की राय ली जा रही है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता ई.एम. सुदर्शन नचियप्पन भी अपनी राय रखेंगे।
नचियप्पन 2015 में एक संसदीय समिति का नेतृत्व कर चुके हैं, जिसने एकसाथ चुनाव का समर्थन किया था।
समिति की बैठक सुबह से शुरू हुई और दिनभर जारी रहेगी।
समिति का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सुगम बनाना है।
एकसाथ चुनाव के कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं पर चर्चा हुई।
यह विषय राजनीतिक दलों के बीच लंबे समय से बहस का मुद्दा बना हुआ है।
सरकार का तर्क है कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी।
कुछ दलों को आशंका है कि इससे संघीय ढांचे पर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रस्ताव पर गहन अध्ययन की जरूरत है।
समिति की सिफारिशें आने वाले दिनों में संसद के सामने रखी जाएंगी।
इस विषय पर आगामी 25 फरवरी को भी चर्चा होगी।
आम जनता और राजनीतिक दलों की राय भी समिति के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती है।
चुनाव सुधारों को लेकर यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है।
समिति की रिपोर्ट के बाद सरकार इस पर कोई अंतिम निर्णय लेगी।
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